शिवाला मंदिर साहनेवाल कमेटी ने किया कुछ नया ऐलान
ਰਿੰਕੂ ਬਜਾਜ
हर साल की तरह इस साल भी प्राचीन शिवाला मंदिर कमेटी साहनेवाल की और से शिवरात्रि के उपलक्ष में 7 मार्च को शिव जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी |
जिसको लेकर प्रधान रविंदर कुमार रवि और बांके की अगुवाई में शोभायात्रा के पत्र बाटने का दौर जारी है | इस कड़ी के उपलक्ष में किशन दास महाराज जी हरनाम पुरे वाले जी को निमंत्रण दिया गया।
निमंत्रण पत्र लेते हुए किशन दास महाराज जी ने सभी कमेटी सदस्यों को बधाई दी और कहा कि ये शोभायात्रा हिन्दू धर्म के संगठन की एकता का प्रतीक है | इससे सनातन संस्कृति का बच्चों को ज्ञान होता है और उन्हें अपने धर्म के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा मिलती है |
इस अवसर पर जानकारी देते हुए
बांके जी ने कहा की जो शिव भक्त महाशिवरात्रि की पूजा अर्चना में शामिल होना चाहते हैं वो पंडित जी से पूजा सामग्री की लिस्ट प्राप्त कर सकते हैं
इस मोके पर रविंदर कुमार रवि प्रधान, संदीप पुरी खजांची, सम्पूर्ण सिंह General Secretary सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन, सुनील कपिला, हैप्पी मैनी, बांके, लक्की शर्मा, काकू, भविष, विशाल, सचिन, सुधीर उपस्थित रहे |
जानकारी देते हुए सम्पूर्ण सिंह General Secretary सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन ने बताया कि "महादेव" जी की कृपा से सभी शिव भक्तों को महाशिवरात्रि उत्सव में शामिल होने का भाव भरा आमंत्रण इस अवसर पर "महादेव" जी की विभिन्न प्रकार की और मनमोहक झांकियों का प्रदर्शन होगा।
प्रधान रविंदर कुमार रवि ने कहा की प्राचीन शिवाला मंदिर का निर्माण कार्य जोरों से चल रहा है जिसमें आप भक्तजन भी अपना सहयोग करके शिव जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं |
बैंक डिटेल :-
BANK NAME :-
UINON BANK OF INDIA
A/C NO. :
510101006501479
IFSEC CODE :
UBIN0916307
विशाल शोभा यात्रा रविवार 7 मार्च 2021
आरम्भ :-
सुबह 9 बजे प्राचीन शिवाला मंदिर परिसर में श्री श्री 108 बाबा कृष्ण दास जी महाराज के कर कमलों द्वारा होगा
मुख्य अतिथि :
श्री हैपी अनेजा एवं श्रीमति सवाती अनेजा जी (TAGORE INTERNATIONAL SR. SEC. SCHOOL),
श्री राकेश जिंदल जी (THERMO PLAST PLASTIC INDUSTRIES)
महाशिवरात्रि उत्सव वीरवार 11 मार्च 2021
आरम्भ :-
रात्रि 8 बजे प्राचीन शिवाला मंदिर परिसर
मुख्य अतिथि : श्री गौरव बांसल जी (S.R.V. STEEL, VILLAGE BHAGWAN PURA, LUDHIANA)
श्री ओम प्रकाश गोयल (PUNJAB TRADING COMPANY)
विशाल भंडारा रविवार 14 मार्च 2021
हवन : सुबह 10 बजे भंडारा :- दोपहर 12 बजे
मुख्य अतिथि : श्री दर्शन लाल अनेजा जी, (JAGDAMBE RICE & GENERAL MILLS)
श्री अमर कौशल जी
महाशिवरात्रि के दिन ऐसे करें महादेव की पूजा, जानिए पूजन सामग्री, मंत्र, शिव चालिसा और आरती
भवगवान शिव (Shiva) को देवादि देव, महादेव, शंकर, नीलकंठ, भोलेनाथ, शिव-शम्भू, महेश और भोले भंडारी जैसे अनेकों नाम से जाना जाता है. शिव शंकर के नाम भले ही अनेक हों, लेकिन उन्हें पूजने का केवल एक ही तरीका है और वह है सच्ची श्रद्धा और भक्ति. कहते हैं कि तन-मन और पूर्ण श्रद्धा से जो कोई भी भोले भंडारी की आराधना करता है उसे मनवांछित फल मिलता है. और तो और भगवान शिव बहुत भोले हैं. वे अपने भक्तों के दुख और परेशानियों को देख नहीं पाते. भक्त का रुदन महादेव सहन नहीं कर सकते. इसी वजह से उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है.
भक्त (Mahashivratri) के मौके पर दिन-भर भूखे-प्यासे रहकर शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. अगर आपने भी शिवरात्रि (Shivratri) क व्रत रखा है तो यहां पर हम शिव शंकर की पूजा की बहुत ही सरल विधि बता रहे हैं, जिसके जरिए आप अपने आरध्य तक मन की बात पहुंचा सकते हैं.
पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि के व्रत से एक दिन पहले ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लें, जो इस प्रकार है: शमी के पत्ते, सुगंधित पुष्प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, दक्षिणा, पूजा के बर्तन आदि.
महाशिवरात्रि की पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं.
- अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और "ऊं नम: शिवाय" बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्ठान एक-एक कर चढ़ाएं.
- अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें:
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
- शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं.
- इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें.
- अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती उतारें.
- महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखें और फलाहार करें.
- सायंकाल या रात्रिकाल में शिवजी की स्तुति पाठ करें.
- शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है.
- शिवरात्रि का पूजन 'निशीथ काल' में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है. रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है. हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी एक प्रहर में सच्ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं.
शिव स्तुति मंत्र
ओम नम: श्म्भ्वायच मयोंभवायच
नम: शंकरायच मयस्करायच
नम: शिवायच शिवतरायच।।
शिव एकादशाक्षरी मंत्र
ओम नम: शिवाय शिवाय नम:
शिव चालीसा दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाए। मुंडमाल तन छार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नंदि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दु:ख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्रहीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
शिवजी की आरती
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे |
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें |
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥ ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी |
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें |
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगें॥ ॐ जय शिव ओंकारा
कर के मध्य कमड़ंल चक्र, त्रिशूल धरता |
जगकर्ता, जगभर्ता, जगससंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका॥ ॐ जय शिव ओंकारा
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी |
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें |
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें ॥ ॐ जय शिव ओंकारा
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा
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